Is suicide is a solution?
क्या करू मैं अगर मेरे दो दोस्त भी नहीं हैं ?
क्या करू अगर मेरा परिवार भी मुझे सपोर्ट नहीं करता ?
क्या करू अगर अपनी बातें दिल की सुनाने के लिए एक इंसान भी साथ ना हो ?
क्या करू अगर मेरे पास नौकरी तक न हो?
क्या करू मैं अगर कोई मुझसे कोई बात करना न चाहता हो?
क्या करू अगर मैं रोज उन्ही तानो और तनावों से गुजर रही हूँ ?
क्या करे वो पिता जिसके पास अपने बच्चो को पढ़ाने के लिए पैसे ना हो?
क्या करे वो बुजुर्ग माता-पिता जिनकी औलाद उन्हें घर से बेघर घर दे?
क्या करे वो किसान जो हर दिन इस आश में उठता है की बारिश होगी,
और उसके खेतो में हरियाली दिखेगी, पर बारिश नहीं होती तो क्या करे वो ?
क्या करे वो इंसान जिनके पास एक वक़्त की रोटी नहीं होती खाने को?
क्या आत्महत्या इन सब का जवाब है?
इतने कमजोर हो?
अभी रुलाने वालो को रुलाना हैं,
हसाने वाले को हसाना हैं ,
ऐसे करते करते हर मुश्किल से लड़ जाना हैं |
मरना तो बोहोत आसान है दोस्त, कोई इन सब से लड़ के दिखाए तो जाने!
घायल तो यहां हर एक परिंदा हैं,
पर जो फिरसे उड़ गया बस वही जिन्दा हैं!
चलते चलते गिरा हर एक इंसान हैं,
पर जो गिरकर फिरसे उठा फिरसे चला बस वही महान हैं!
वैसे कहते तो सब हैं की किसी से कोई उम्मीद मत रखो,
पर बिना उमीदो के इंसान भी तो मुर्दा हैं |
खुद के लिए , सच्चाई के लिए आवाज उठाओ,
ऐसे चुप रहके सब सहके मत जिओ!
दयालु भी बनो लेकिन थोड़ा सख्ती भी रखो,
कभी खुद रोके दुसरो के दुःख में, तो कभी थोड़ा दुसरो को हसाके जिओ!
सुकून मिलेगा दुसरो की खुशियों में भी कभी किसी की ख़ुशी की वजह बनके तो देखो |
कही न कही कोई अपना भी होगा,
खुद की जिंदगी का फैसला खुद न करो.
तुम्हारे दर्द से माँ की आंखे भी तो नम होती हैं,
कभी जिंदगी से खिलवाड़ ना करो,|
कभी आत्महत्या जैसा शब्द अपने दिमाग में ना लाना|
किसी की ख़ुशी की वजह ना बन पाओ तो कोई बात नहीं,
पर कभी किसी के आंशुओ की वजह न बन जाना |
True����
ReplyDeleteSo true
ReplyDeleteTrue
ReplyDeleteShi batt h
ReplyDeleteBhot khoob likha hai
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