Bas Sukoon Chahti Hu M.
ना किसी को अपना बनाना चाहती ,
ना किसी को पराया समझना चाहती ,
ना अब प्यार चाहिए,
ना कोई मुझे समझे वो दोस्त चाहिए ,
ना ही कोई दुश्मन चाहिए,
मुझे बस खुद में ही एक सुकून चाहिए।
मुझे मेरी जिंदगी में सिर्फ सुकून चाहिए।
नाम के रिश्तो में प्यार कहाँ मिलता हैं ?
जबरदस्ती के रिश्तो में खुशियाँ कहाँ मिलती हैं ?
दिखावे के इस दुनिया में बस झूठा प्यार बिकता हैं।
दूर रखो मुझसे ये रिश्तो को निभाने की उलझनों को ,
मजबूरियां, गलतियां, एहसास, नियतों , हालातो को ,
इन् बड़े बड़े शब्दों से कही दूर ठीक हु मैं ,
हैं ख्वाहिश की बनके परिंदा खुले आसमान में उड़ूँ मैं।
और कुछ भी नहीं ,
बस सुकून चाहती हूँ मैं।
जिंदगी अब इस मोड़ पर आ गई हैं ,
ना कोई समझने वाला चाहिए हैं,
ना ही किसी को कुछ समझाना चाहती हूँ मैं।
सबसे दुरी रखना चाहती हूँ,
बस सुकून चाहती हूँ मैं।
किसी पे आँख बंद करके भरोशा करना तो दूर,
भरोशा तक नही करना चाहती हूँ मैं।
ये उमीदें बोहोत तकलीफ देती हैं मुझे,
अब सारी उमीदो को दिल और दिमाग से निकालके ,
हवा में उछाल के खुद को इनसे आजाद करना चाहती हूँ मैं।
बस सुकून चाहती हूँ मैं।
अब तेरी राह में, अब तेरे जिक्र में कभी आना नहीं चाहती हूँ मैं,
खुशियों का बहाना तो नहीं हैं कोई,
लेकिन अब रोना बिलकुल नहीं चाहती हूँ मैं ,
थक गई हूँ बोहोत,
बस सुकून चाहती हूँ अब मैं।
तू पास तो हैं मेरे अभी,
लेकिन तुझे खुद से बेहद दूर कर देना चाहती हूँ मैं,
झूठे थे वादे और वो तेरी मीठी मीठी बाते ,
ये खुद को यकीं दिलाना चाहती हूँ मैं।
खुद को तकलीफ पहुंचाली हैं बोहोत ,
अब तेरा किस्सा खत्म करना चाहती हूँ मैं,
पहले की तरह अब फिरसे मुस्कुराना चाहती हूँ मैं ,
थक गई हूँ यार बोहोत, इन् नफरतो के झेले में ,
अब बस जिंदगी में और जिंदगी से सुकून चाहती हूँ मैं।
Na kisi ko apna banana chahti,
Naa kisi ko praya smjhana chahti,
Naa ab pyaar chahiye,
Naa koi dost, naa koi dushman chahiye,
Mujhe ab sirf sukoon chahiye.
Naam ke rishto me pyar kaha milta h?
Jabrdasti ke rishto me khushiyaa kaha milti hain ?
Dikhawe ke is diniya me bas jhootha pyar bikta h.
Door rakho mujhe rishto ko nibhane ki uljhano se,
Majbooriya, galtiyaa, ehsas, niyato, haalato se,
Inn bade bade words se kahi door thik hu m,
Hain khwahish ki banke parinda kahi door uddu main.
Jindagi ab iss mod par aa gai h,
naa koi smjhne wala chahiye hain,
naa kisi ko kuch smjhana chahti huu,
bas sabse door rehna chahti huu.
ना किसी को पराया समझना चाहती ,
ना अब प्यार चाहिए,
ना कोई मुझे समझे वो दोस्त चाहिए ,
ना ही कोई दुश्मन चाहिए,
मुझे बस खुद में ही एक सुकून चाहिए।
मुझे मेरी जिंदगी में सिर्फ सुकून चाहिए।
नाम के रिश्तो में प्यार कहाँ मिलता हैं ?
जबरदस्ती के रिश्तो में खुशियाँ कहाँ मिलती हैं ?
दिखावे के इस दुनिया में बस झूठा प्यार बिकता हैं।
दूर रखो मुझसे ये रिश्तो को निभाने की उलझनों को ,
मजबूरियां, गलतियां, एहसास, नियतों , हालातो को ,
इन् बड़े बड़े शब्दों से कही दूर ठीक हु मैं ,
हैं ख्वाहिश की बनके परिंदा खुले आसमान में उड़ूँ मैं।
और कुछ भी नहीं ,
बस सुकून चाहती हूँ मैं।
जिंदगी अब इस मोड़ पर आ गई हैं ,
ना कोई समझने वाला चाहिए हैं,
ना ही किसी को कुछ समझाना चाहती हूँ मैं।
सबसे दुरी रखना चाहती हूँ,
बस सुकून चाहती हूँ मैं।
किसी पे आँख बंद करके भरोशा करना तो दूर,
भरोशा तक नही करना चाहती हूँ मैं।
ये उमीदें बोहोत तकलीफ देती हैं मुझे,
अब सारी उमीदो को दिल और दिमाग से निकालके ,
हवा में उछाल के खुद को इनसे आजाद करना चाहती हूँ मैं।
बस सुकून चाहती हूँ मैं।
अब तेरी राह में, अब तेरे जिक्र में कभी आना नहीं चाहती हूँ मैं,
खुशियों का बहाना तो नहीं हैं कोई,
लेकिन अब रोना बिलकुल नहीं चाहती हूँ मैं ,
थक गई हूँ बोहोत,
बस सुकून चाहती हूँ अब मैं।
तू पास तो हैं मेरे अभी,
लेकिन तुझे खुद से बेहद दूर कर देना चाहती हूँ मैं,
झूठे थे वादे और वो तेरी मीठी मीठी बाते ,
ये खुद को यकीं दिलाना चाहती हूँ मैं।
खुद को तकलीफ पहुंचाली हैं बोहोत ,
अब तेरा किस्सा खत्म करना चाहती हूँ मैं,
पहले की तरह अब फिरसे मुस्कुराना चाहती हूँ मैं ,
थक गई हूँ यार बोहोत, इन् नफरतो के झेले में ,
अब बस जिंदगी में और जिंदगी से सुकून चाहती हूँ मैं।
Na kisi ko apna banana chahti,
Naa kisi ko praya smjhana chahti,
Naa ab pyaar chahiye,
Naa koi dost, naa koi dushman chahiye,
Mujhe ab sirf sukoon chahiye.
Naam ke rishto me pyar kaha milta h?
Jabrdasti ke rishto me khushiyaa kaha milti hain ?
Dikhawe ke is diniya me bas jhootha pyar bikta h.
Door rakho mujhe rishto ko nibhane ki uljhano se,
Majbooriya, galtiyaa, ehsas, niyato, haalato se,
Inn bade bade words se kahi door thik hu m,
Hain khwahish ki banke parinda kahi door uddu main.
Jindagi ab iss mod par aa gai h,
naa koi smjhne wala chahiye hain,
naa kisi ko kuch smjhana chahti huu,
bas sabse door rehna chahti huu.
🙄🙄🙄🙄🙄🙄
ReplyDeletePlease come back
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