ना किसी को अपना बनाना चाहती ,  ना किसी को पराया समझना चाहती ,  ना अब प्यार चाहिए,  ना कोई मुझे समझे  वो दोस्त चाहिए ,  ना ही कोई दुश्मन चाहिए,  मुझे बस खुद में ही एक सुकून चाहिए।   मुझे मेरी जिंदगी में सिर्फ सुकून चाहिए।    नाम के रिश्तो में प्यार कहाँ मिलता हैं ?  जबरदस्ती के रिश्तो में खुशियाँ कहाँ मिलती हैं ?  दिखावे के इस दुनिया में बस झूठा प्यार बिकता हैं।    दूर रखो मुझसे ये रिश्तो को निभाने की उलझनों को ,  मजबूरियां, गलतियां, एहसास, नियतों , हालातो  को ,  इन् बड़े बड़े शब्दों से कही दूर ठीक हु मैं ,  हैं ख्वाहिश की बनके परिंदा खुले आसमान में उड़ूँ मैं।   और कुछ भी नहीं ,  बस सुकून चाहती हूँ मैं।    जिंदगी अब इस मोड़ पर आ गई हैं ,  ना कोई समझने वाला चाहिए हैं,  ना ही किसी को कुछ समझाना चाहती हूँ मैं।   सबसे दुरी रखना चाहती हूँ,  बस सुकून चाहती हूँ मैं।    किसी पे आँख बंद करके भरोशा  करना तो दूर,  भरोशा तक  नही करना चाहती हूँ मैं।   ये उमीदें बोहोत तकलीफ देती हैं मुझे,  अब सारी उमीदो को दिल और दिमाग से निक...
 
Shi h
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