phir se
मैं फिर से किसी पे विश्वास करना चाहती हूँ ,
पर अब पता नहीं क्यों हो नहीं रहा।
मैं फिर से किसी से अपने दिल की सारी बात कहना चाहती हूँ,
पर अब पता नहीं क्यों डर लगता हैं।
मैं फिर से किसी से सारी रात बातें करना चाहती हूँ,
पर अब पता नहीं क्यों नहीं हो पा रही.
मैं फिर से किसी से बोहोत प्यार करना चाहती हूँ,
पर अब पता नहीं क्यों प्यार के नाम से नफरत हो रही हैं।
मैं फिर से हसना चाहती हूँ,
पर पता नहीं क्यू आँशु आँखों से थम नहीं रहे हैं।
मैं फिर से काजल लगाना चाहती हूँ,
पर पता नहीं क्यों अब खुद की सूरत नहीं भाति मुझे,
👍
ReplyDelete