Poem on a girl |best poem | hindi | hindi kavitaye | zindagi

कितनी अजीब बात हैं न हैं ना 
पैदा होते ही तो भोझ बन जाती हैं लड़की ,
लड़का होता तो ज्यादा अच्छा होता, 
बस यही सुनने  को मिलता हैं । 
दर्द हर महीने सहती हैं लड़की ,
शादी के बाद खुद का घर, 
अपने परिवार को छोड़के जाने की तकलीफ सहती हैं लड़की,
ससुराल में हर एक की ख़ुशी की चिंता करती हैं बस लड़की ,
खुद की पसंद से नहीं, परिवार की पसंद से हर काम करती हैं लड़की,
9 महीने जब बच्चे को पेट में रखती हैं तो खुद को संभालती हैं लड़की,
बच्चे की delivery का इतना ज्यादा दर्द सहती हैं लड़की ,
फिर भी दुनिया की नजरो में कमजोर हैं लड़की ,
लड़की के हर रूप, पवित्र नाम, माँ, बहिन, बेटी,
इनको देवियों का दर्जा देने के बजाये ,
गालिओं में नाम लिया जाता हैं। 


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